मां संकटा देवी मंदिर के मेले में सजीव मनोहारी मंचन बना चर्चा का विषय


महमूदाबाद (सीतापुर)
     महमूदाबाद के अत्यंत प्राचीन व सुप्रसिद्ध श्री संकटा देवी मंदिर के 15 दिवसीय मेला महोत्सव में वृंदावन से आये नाट्य मण्डल द्वारा भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सजीव मनोहारी मंचन पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। कलाकारों की अद्भुत अभिनय क्षमता व प्रस्तुतिकरण तथा साज-सज्जा व वेषभूषा की लोग सराहना करते नहीं थकते। श्री कृष्ण लीला का सजीव मंचन देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ मंदिर के सांस्कृतिक पांडाल में जुट रही है। 
श्री संकटा देवी मंदिर मेला के सांस्कृतिक मंच पर वृंदावन से आई राम-श्याम श्री कृष्ण लीला संस्थान नाट्य मंडल के कलाकार कृष्ण जन्म से कंस वध तक का सजीव मनोहारी मंचन कर दर्शकों को देर रात तक बांधे रखा। आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को देखने के लिए एकत्र भारी भीड़ कृष्णभक्ति में डूबी रही। देवकी-वसुदेव की विदाई तथा यशोदा के घर कृष्ण की बाल लीलाओं के साथ, पूतना, बकासुर, कालिया मर्दन की आकर्षक लीलाओं को दर्शक भावपूर्ण तथा श्रद्धा के साथ देखते रहे। जब कृष्ण ने किसी राक्षस का वध किया या गोवर्धन पर्वत को उंगली पर धारण किया तो दर्शकों के जय श्री कृष्ण के गगनभेदी नारों से पांडाल गुंजायमान हो उठा। खचाखच भरा पांडाल उस समय करुणा के सागर में डूब गया जब मथुरा से कंस द्वारा भेजे गए भगवान कंस के काका अक्रूर जी कृष्ण व बलराम को मथुरा ले जाने के लिए बुलाने आए। नंद-यशोदा के साथ ग्वाल-बाल जब कृष्ण को मथुरा जाने से न रोक पाए तो सभी करुणा के साथ विलाप करते हुए मूर्छित होने लगे तो दर्शकों की आखें भी नम हो गईं। कृष्ण-बलराम ने मथुरा पहुंचकर कंस के धोबी का वध करने के साथ कंस के दरबार में पहुंचकर मल्लयुद्ध में उसे पराजित करते हुए उसका वध कर दिया। इस अवसर पर प्रबंध समिति के अध्यक्ष आरके वाजपेयी, साकेंद्र प्रताप वर्मा, डा. विनोद मिश्र, पं. सुरेंद्र शास्त्री, राज कुमार वर्मा, लालता प्रसाद जायसवाल, उमेश वर्मा, इंद्रजीत जायसवाल, अशोक नाग, ओम प्रकाश गुप्त, त्रिलोकीनाथ मौर्य सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष दर्शक मौजूद रहे।


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