आयुष जैन महमूदाबाद।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मात्र 55 किमी दूर गांजर क्षेत्र का प्रमुख द्वार और जनपद सीतापुर की सबसे बड़ी तहसील महमूदाबाद खुद को जिला बनने का इंतजार कर रही है। महमूदाबाद के जिला बनना का मुद्दा उठते ही यहां के राजनीति में भूचाल ला देता है, हो भी क्यों न महमूदाबाद की जनता खुद को अलग जिले के रूप में स्थापित करना चाह रही है...।
महमूदाबाद क्षेत्र राजधानी मुख्यालय से करीब 50 किमी वहीं जिला मुख्यालय सीतापुर से करीब 60 किमी दूर पर बसा है। जिले के रूप में स्थापित होने के बाद महमूदाबाद में बडा बदलाव देखने को मिल सकता है। महमूदाबाद भी अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को लेकर पूरे प्रदेश में अलग पहचान बनाए हुए है। महमूदाबाद में वर्तमान समय में दो राजकीय डिग्री कालेज, कई प्राइवेट डिग्री कालेज, एक प्रस्तावित विश्वविद्यालय, एक पालीटेक्निक और दर्जनो इण्टर कालेज स्थापित है।
महमूदाबाद जहां तहसील के रूप में जितना बडा है उतना ही विधानसभा के रूप में बडा है। विधानसभा महमूदाबाद में तीन विकास खण्ड आते हैं। इसी में नगर पालिका परिषद महमूदाबाद तथा एक नगर पंचायत पैतेपुर भी शामिल है। विकास खण्ड महमूदाबाद में करीब 76 ग्राम पंचायतें है। आबादी के हिसाब से पूरे जिले में सबसे बडी तहसील और विधानसभा के रूप में विख्यात है।
महमूदाबाद को जिला बनाने का मुद्दा उठाने का श्रेय उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री रहे डा. अम्मार रिजवी को ज्यादा है। सार्वजनिक मंच हो या चुनावी मुद्दा चाहे पत्रकार वार्ता डा0 अम्मार रिजवी आज भी महमूदाबाद को जिले के रूप में स्थापित करने की बातें करते हैं। नब्बे के दशक में सबसे पहले महमूदाबाद को तहसील का दर्जा मिलने के बाद तेजी से हुए विकास से अब महमूदाबाद अपने आप को जिला बनते देखना चाहता है। सरकारें आई और बदल गई लेकिन जिला बनाने का मुद्दा बस मुद्दा ही रहा। विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव महमूदाबाद को जिला का मुद्दा उठते देर नहीं लगती। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी बाबूपुर में अपनी जनसभा में कहा था ‘‘ अगर मेरी सरकार में कोई जिला बना तो महमूदाबाद सबसे पहला जिला होगा’’। हालांकि उनकी सरकार पूर्ण बहुमत की बनी। क्षेत्र से विधायक नरेन्द्र सिंह वर्मा को राज्यमंत्री का दर्जा मिला फिर कैबिनेट मंत्री लेकिन महमूदाबाद को जिले का दर्जा नहीं मिल सका। एक बार फिर 2017 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कहा कि आप सरकार बनाइए हम जिला बनाएंगे लेकिन अब शायद जनता को उनकी बातों पर भरोसा नहीं रहा।
महमूदाबाद और उसका जिला बनने के बीच में कोई ज्यादा अंतर नहीं है ऐसा हमारे जनप्रतिनिधि चुनावों में कहते आए लेकिन मैने कुछ दस्तावेज निकाले जिनके आधार पर यह तय हुआ कि महमूदाबाद को जिला बनने के लायक ही नहीं है......
पहला दस्तावेज- विधानसभा में कार्यवाही 8 अगस्त 1991 तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी रहे। उस समय निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे क्षेत्रीय विधायक नरेन्द्र सिंह वर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान पर सवाल पूछा कि ‘‘क्या राजस्व मंत्री बताने की कृपा करेंगें कि जनपद सीतापुर की तहसील महमूदाबाद को जिला बनाने का कोई प्रस्ताव शासन में विचाराधीन है? यदि हां, तो इस सम्बंध में अब तक क्या कोईवाही हुई है?
जिसके प्रतिउत्तर में श्री ब्रम्हदत्त द्विवेदी ने उत्तर दिया कि जी नहीं।
दूसरे दस्तावेज- 17 फरवरी 2011 में बसपा की सरकार में मायावती मुख्यमंत्री बनीं। उस समय भी विधायक नरेन्द्र सिंह वर्मा ने सवाल दायर किया कि क्या राजस्व मंत्री बताने की कृपा करेंगें कि तहसील महमूदाबाद के व्यापक भू भाग तथा आबादी को देखते हुए क्या सरकार महमूदाबाद को जिला बनाने पर विचार करेगी? यदि नहीं तो क्यों?
जिसके प्रतिउत्तर में तत्कालीन मंत्री फागू चैहान ने कहा कि जनपद बनाने हेतु तहसील महमूदाबाद की जनसंख्या एवं क्षेत्रफल निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं है...।
अब सवाल यह खड़ा हो गया कि मायावती की सरकार ने महमूदाबाद को जिला बनाने का मुद्दा सीधे तौर पर निरस्त ही कर दिया। जब सरकारी दस्तावेजों में महमूदाबाद जिला बनने के लायक ही नहीं है तो महमूदाबाद को जिला बनाने की राजनीति क्यों?