वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व कबीना मंत्री डा. अम्मार रिजवी ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर चहलारी घाट पुल का नाम राजा बलभद्र सिंह के नाम पर रखने की मांग करने के साथ पुल का लोकार्पण किये जाने की अपील की।
डा0 रिजवी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए कहा कि अक्टूबर 1988 में मैने सार्वजनिक निर्माण मंत्री लोक निर्माण की हैसियत से अमर शहीद राजा बलभद्र सिंह के गृह निवास चहलारी घाट पर एक पुल मंजूर किया था, जिसकी लागत उस समय 22 करोड़ थी। राजा बलभद्र सिंह उन महान वीरों में से है जिन्होने अंग्रेजों के खिलाफ न केवल लडाई लडी बल्कि अपना सर्वत्र न्यौछावर कर दिया। युद्ध के दौरान ही राजा बलभद्र सिंह की शादी हुई और वह अपनी बारात लेकर वापस आ रहे थे तो उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की वीरांगना बेगम हजरत महल ने सूचित किया कि अंग्रेजों की फौज लखनऊ की ओर बढ रही है। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए बलभद्र सिंह ने अपनी बारात को अपने छोटे भाई के हवाले कर दिया और स्वयं मातृभूमि की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लडते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
डा0 रिजवी ने लिखा कि चहलारी के इस पुल से दिल्ली, कोलकाता का फासला कम होने के साथ साथ लखनऊ से बहराईचख् सीतापुर, लखीमपुर, हरदोई व बाराबंकी का फासला बहुत कम हो जाता है। इस पुल क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा। उन्होने कहा कि मैने उस समय पत्रावलियों पर स्पष्ट आदेश दिए थे कि पुल पर अमर शहीद राजा बलभद्र सिंह की मूर्ति लगे और पुल के दोनो ओर हिन्दी, अंग्रेजी व उर्दू में पत्थर पर उनका इतिहास लगाया जाए परंतु अत्यंत खेद है कि बाद की सरकारों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्होने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि जिन उद्देश्यों से इस पुल को स्वीकृति किया और बनवाया गया था उसी की पूर्ति के लिए इस पुल का नाम राजा बलभद्र सिंह के नाम पर रखा जाए और इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं करें।