11 मार्चः महमूदाबाद विधानसभा पर टिकी हर किसी की निगाहें


आयुष जैन (ब्लाग) महमूदाबाद

उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा मतदानों के बाद अब 11 मार्च को नतीजें सामने आ जाएॅंगे। ईवीएम के खुलने का इंतजार सबको बेसब्री है। 11 मार्च को तय हो जाएगा कि कौन सरताज बनेगा और किसके सर का ताज छिनेगा। किस पार्टी की सरकार बनेगी? क्या अखिलेश की वापसी होगी या भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा या फिर मायावती सत्ता पर काबिज होगी? किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेगी इन सभी सवालों का जवाब को 11 मार्च को मिल जाएंगे। महमूदाबाद में 19 फरवरी को विधानसभा चुनावों के मतदान पडे थे। सीतापुर जिले में ज्यादा हर किसी की नजर महमूदाबाद विधानसभा सीट पर टिकी है। क्योंकि यहां से सीधी टक्कर पांच बार विधायक रहे कैबिनेट मंत्री से होनी थी।

कारण साफ है यहां पर सपा से पांच बार विधायक रहे साथ ही कैबिनेट मंत्री नरेन्द्र सिंह वर्मा मैदान में थे। भारतीय जनता पार्टी से लखनऊ निवासी आशा मौर्या को मैदान में उतारा गया था वहीं बसपा से प्रद्युम्न वर्मा मैदान में थे।

अब बात करें सपा की तो नरेन्द्र सिंह वर्मा यहां पर पांच बार विधायक रह चुके हैं। नरेन्द्र सिंह वर्मा अपनी व्यवहारकुशलता और जनता से सीधे संवाद के कारण काफी लोकप्रिय रहे हैं। शनिवार और रविवार को जनता दरबार वह समस्याओं का निराकरण करते रहे है। उनकी इसी लोकप्रियता को लेकर वह स्वयं और उनके समर्थक जनता के बीच पहुंचे थे वहीं दूसरी ओर अपने पांच साल के कार्यकाल के विकास को भी नरेन्द्र सिंह वर्मा जनता को बताना नहीं चूकते थे। जाहिर सी बात है नरेन्द्र सिंह वर्मा के पांच साल के विकास की चर्चा गांव गांव दौडी थी और पूरे जिले में चर्चित भी हुई थी।

भारतीय जनता पार्टी कभी महमूदाबाद में अपना जनाधार खो चुकी थी। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के मार्कण्डेय यादव को मात्र 3147 मत मिले थे। इस विधानसभा चुनाव में यहां से पूर्व चेयरमैन सुरेश वर्मा को टिकट मिलने की पूरी संभावना जताई जा रही थी वहीं अचानक आशा मौर्या को टिकट मिलना लोगो को रास नहीं आ रहा था किन्तु आशा मौर्य को कहीं न कहीं से मोदी लहर का बड़ा फायदा मिलना बताया जा रहा है।

बहुजन समाज पार्टी से प्रद्युम्न वर्मा मैदान में थे। वर्ष 2012 में यहीं से बसपा का चुनाव अहमद अंसारी लड़े थे। अहमद अंसारी के क्षेत्रीय होने के कारण उन्होने सपा को कडी टक्कर दी थी औ करीब 67000 मत प्राप्त किये थे। किन्तु 2017 के चुनाव से पूर्व अहमद अंसारी सपा में शामिल होकर नरेन्द्र सिंह वर्मा के साथ चले गये थे। उनके साथ बडे बसपा नेता भी सपा में गये थे।


तीनों प्रत्याशियों ने अपनी ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। पूरे दिन लोगो के घरों के दरवाजे ठोकते ठोकते थे गांव गांव शहर शहर गली कूचे में ईंट पत्थरों की ठोकरें खाते रहे थे। जनता से झूठे अच्छे वादे करना और अपने को बेहतर दिखाने में कोई कसर नहीं छोडी।
लेकिन 11 मार्च को जनता का क्या जवाब आता है यह देखना अत्यंत दिलचस्प होगा।

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