असफल व्यक्ति क्रोधी और सफल व्यक्ति मानी होता है- यादवेन्द्र सागर


अभिमान की भावना जीवन के लिये विनाशकारी- पं0 वीरेन्द्र जैन
  • दिगम्बर जैन मंदिर में 12 दिवसीय सहस्रनाम विधान में आयोजित हो रहे है सांस्कृतिक कार्यक्रम
महमूदाबाद, सीतापुर
मार्दव किसे कहते है? ‘मृदोर्भावः मार्दवसम्’ अर्थात् मृदुता का नाम, कोमलता का नाम मार्दव है मार्दव धर्म मान कषाय के अभाव में प्रकट होता है। प्रतिकूलता में क्रोध आता है और अनुकूलता में मान आता है। जब  हमें असफलता मिलती है तो क्रोध  आता है और सफलता मिलती है तो मान आता है। अर्थात  । उक्त विचार 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में 12 दिवसीय सहस्रनाम विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ एवं दशलक्षण पर्व के अवसर पर भक्तों को सम्बोधित करते हुए 108 मुनि श्री यादवेन्द्र सागर महाराज ने व्यक्त किये। उन्होने कहा कि जब कोई व्यक्ति किसी कार्य में असफल होता है तो वह  उन परिस्थितियों पर क्रोधित  हो जाता है जिन्हें वह असफलता का कारण समझता है और सफल होने  पर सफलता का श्रेय स्वयं लेकर अभिमान करने लगता है। यद्यपि मान भी क्रोध के समान खतरनाक है  पर लोग उसे न जाने क्यों कुछ ज्यादा अच्छा समझते है। मानपत्र सबके घरों में लगे मिल  जायेगे पर किसी के घर में क्रोध पत्र नही मिलेगा। क्रोध पत्र कोई किसी को देता भी नही है, यदि कोई देगा भी तो आप लेगे नही। घर में लगाने की बात तो दूर की है। पर लोग मात्र पत्र बडी शान से लेते है और उसे बडे प्यार से घर में सजाते है।
     बहुत से लोग  तो उसे ज्ञान पत्र समझते है।  जबकि उस पर  साफ साफ लिखा है मानपत्र। इतने पर भी संतोष नही होता तो अखबारों में  पूरा छपवाते है चाहे उसका विज्ञापन चार्ज  ही क्यों न देना पडे। मान एक मीठा जहर है जो मिलने पर अच्छा लगता है पर बहुत दुखदायक, क्योेकि  यह भी एक कषाय है।, यद्यपि मान, क्रोध के समान ही आत्मा का अहत करने वाला विकास है। तथापि बाह्य में क्रोध के समान विनाशक नही है। जिस पर हमें क्रोध  आता है हमे उसे नष्ट कर देना चाहते है  परंतु मान में ऐसा नही होता। जम्बूद्वीप हस्तिनापुर से पधारे विद्वान पं. वीरेन्द्र कुमार जैन ने कहा कि अभिमान की भावना मानव जीवन के लिये महाविनाशकारी है। यह सम्पूर्ण जीवन की साधना को निष्फल कर देती है जब तक मन में अहंकार की भावना रहती है मनुष्य आत्मोन्नति नही कर सकता। आत्मोन्नति के लिये मन के समस्त विकारी भावों का नाश करना आवश्यक है। जब तक वह दूर नही होगीं। विनय गुण नही आयेगा। इस अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जैन समाज की महिलाआंे रीना जैन, निशा जैन, नीतू जैन, अमिता जैन ने भावनृत्य प्रस्तुत किये। इस अवसर पर वंदना जैन के नेतृत्व में एक नाटक का मंचन भी महिलाओं और बच्चों द्वारा किया। जिसकी दर्शकों ने भूरि भूरि प्र्रशंसा की। इस अवसर पर जैन समाज अध्यक्ष मनोरंजन जैन, मंत्री जितेन्द्र जैन, अंकुर जैन, राजन जैन, राहुल जैन, मोनिस जैन, चक्रेश्वर कुमार जैन, स्व. प्रभाव जैन मानव सेवा समिति के सचिव पंकज जैन आदि उपस्थित थे। संचालन महामंत्री पारस जैन ने किया।

Share this

Related Posts

Previous
Next Post »