महमूदाबाद, सीतापुर
भारतीय संस्कृति, सभ्यता, चिंतन, अध्यात्म, सांसारिक उच्चकोटि के दर्शन की पताका पूरे विश्व में फैलाने वाले महान संयासी स्वामी विवेकानंद नें राष्ट्र के गौरव को बढ़ाने का काम किया। भारत माता के सच्चे सपूत विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस के शिष्य के रूप में उनकी अभिव्यक्ति का साधन बने। अकेले ही आगे बढ़ने की प्रेरणा देने वाले स्वामी विवेकानंद नें अपने व्यक्तित्व का प्रकाश फैलाने की शिक्षा पूरे विश्व को दी। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि प्रत्येक राष्ट्रभक्त को अपनी मातृभूमि के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हुए उसे मां जगदम्बा के समान स्नेह और सम्मान देना चाहिए। राष्ट्र की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखना प्रत्येक भारतीय का परम कर्तव्य है।
यह उद्गार सीता इंटर कालेज में आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस पर स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाते हुए प्रधानाचार्य आरके वाजपेयी ने कही। कार्यक्रम में वरिष्ठ शिक्षक अखिलेश दुबे नें कहा कि स्वामी विवेकानंद जी नें कहा है कि मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। हम जितना अध्ययन करते हैं उतना ही हमें अज्ञान का आभास होता जाता है। कार्यक्रम में विभा सिंह नें युग पुरूष विवेकानंद को याद करते हुए कहा कि वह बाल्यावस्था में काफी नटखट थे। जिज्ञासा उनमें शुरू से विद्यमान थी। ईश्वर कौन है, क्या है, क्या इसके दर्शन हो सकते हैं। विवेकानंद जी की इस जिज्ञासा को गुरू रामकृष्ण परमहंस नें पूरा किया। ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होनें शिकागो धर्म सम्मेलन में भारतीय संस्कृति का मान बढ़ाया था। कार्यक्रम में सोनू शर्मा नें लो श्रद्धांजलि हे राष्ट्र पुरूष गीत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संस्था के एकेडमी में वागीश दिनकर वाजपेयी व जूनियर वर्ग में दिल मोहिनी मिश्रा की देख-रेख में विवेकानंद जयंती मनाई गई। इसी के साथ क्षेत्र के प्रकाश इंटर कालेज, संजू प्रजापति, सरदार सिंह कानवेंट, सरदार वल्लभ सिंह पटेल कन्या शिक्षण संस्थान गुडै़चा में भी विवेकानंद जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाया गया।