**ayush jain**
आज टेक्नालाजी का नया युग चल रहा है। जिस तरह से समय बदलता जा रहा है इंसान नयी नयी तकनीकों से रूबरू होता जा रहा है। नये-नये मोबाइल, कम्प्यूटर, लैपटाप आईफोन की होड बढती जा रही है। आज हर व्यक्ति अपनी जेब में एंड्रायड मोबाइल लेकर चलने को पसंद करता है लेकिन कहीं टेक्नालाजी की इस होड में इंसानियत खत्म तो नहीं होती जा रही है। तकनीकी की इस दौर में इंसान अपनों से दूर होता जा रहा है। व्हाट्सएप, फेसबुक आदि पर अपनी उपलब्धिता दर्शाने के चक्कर में इंसान इंसानियत की नजरों में गिरता जा रहा है। हर इंसान व्हाट्सएप पर अपनी वीडियों, फोटो शेयर करना चाहता है। सामने किसी के साथ हो रही बदसलूकी, बत्तमीजी पर वह उसकी मदद करने के बजाये दूर खडे होकर आराम से वीडियो बनाता है। ये कहीं से कहीं से समाज को कमजोर कर रहा है। हम टेक्नालाजी की इस दौड में कितना भी आगे क्यों न चलें जाएं मगर अगर आपके अंदर मानवता इंसानियत नहीं है तो आप देखेंगें कि आप आगे नहीं गये बल्कि और पीछे जा रहे हैं। फेसबुक, व्हाट्सएप आपकी सहूलियतों के लिये बनाये गये है जिससे कि आप अपने से दूर वाले के साथ जुड सके लेकिन वर्तमान समय में कुछ अराजक तत्व इनका दुरूपयोग करते हुए इनपर आपत्तिजनक टिप्पणियां, धर्मवाद, जातिवाद आदि सामग्रियां डालकर समाज को भडकाने का काम करते है जिससे कि पूरे देश का नुकसान होता है। अगर इनका अगर इन सोशलमीडिया का उपयोग भलाई के लिये किया जाये तो शायद समाज में एक अच्छी छवि कायम करने के साथ देश का कल्याण भी किया जा सकता है।